सिन्धु दर्शन उत्सव प्रति वर्ष जून माह की गुरु पूर्णिमा के दिन आयोजित होता है। इसका आयोजन जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख जनपद के लेह में होता है। यह तीन दिनों तक चलता है। इसका आयोजन सर्वप्रथम वर्ष 1997 में किया गया था और तबसे इसे प्रतिवर्ष आयोजित किया जा रहा है। इसी स्थल पर भगवान झूले लाल का जन्म हुआ था। सिन्धु दर्शन उत्सव सभी धर्मों के मिलन, उत्साह व रोमांच का मिश्रण है। यहाँ बड़ी संख्या में भारत से व अन्य देशों से यात्री आते हैं।

सिन्धु दर्शन उत्सव सिन्धु नदी (जिसे इंडस नाम से भी जाना जाता है) का पर्व है, जो विश्व की सबसे बड़ी नदियों में एक है। इस उत्सव द्वारा सिन्धु नदी को भारत की एकता, अखंडता और सांप्रदायिक सद्भाव के प्रतीक के रूप में महिमा मंडित किया जाता है। यात्री सिन्धु नदी में स्नान करते हैं और भगवान की पूजा करते हैं।

भारत का उद्भव भी इतिहास की महान सिन्धु घाटी सभ्यता से हुआ है। सिन्धु नदी का उद्गम 16,000 फिट की ऊंचाई पर स्थित दक्षिण-पश्चिम तिब्बत से हुआ है, और यह लेह से भारत आती है। यह लेह से लगभग 11 किमी की दूरी पर अपनी सबसे पहली सहायक नदी ज़ंस्कार से मिलती है। करीब 200 मील बाद यह जम्मू के दक्षिणी-पश्चिमी छोर तक पहुचती है।