रुद्राभिषेक (1 शास्त्री)

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी

Mangla Aarati
  • हर दिन महारुद्र पूजा सुबह 4:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक की जा सकती है।
  • उक्त शुल्क में केवल मंदिर शुल्क ही शामिल है, जिसमें मंदिर की अनुष्ठान प्रक्रिया पूरी करी जा सकेगी।
  • उक्त निर्धारित शुल्क केवल एक परिवार के लिए मान्य होगी।
  • पूजा के दौरान, महारुद्र के लिए उक्त निर्धारित मंदिर शुल्क में केवल 5 लीटर तक का दूध अर्पित करने की अनुमति है।
  • श्रद्धालुओं को सलाह दी जाती है की वे स्वयं "पूजा सामग्री" लाने का कष्ट करें, अन्यथा यहां पर "पूजा सामग्री" के निर्धारित शुल्क का भुग्तान करें।
  • पण्डित/पुरोहित को दिए जाने वाले दान का वहन श्रद्धालू स्वयं करें।

रुद्राभिषेक (1 शास्त्री)

यह रुद्राभिषेक केवल एक शास्त्री या पुरोहित द्वारा कराया जाता है। इस अनुष्ठान में शिवलिंग को पहले स्वच्छ जल द्वारा नहलाया जाता है। यह जल किसी पात्र से लगातार शिवलिंग पर गिरता रहना चाहिए तथा इस बीच लगातार रूद्र सूक्त नामक वैदिक मन्त्रों का उच्चारण होते रहना चाहिए। इस अनुष्ठान में लक्ष्मी-गणेश पूजन भी होता है तथा इसके बाद आराध्य का श्रृंगार कमल व गुलाब के फूलों द्वारा तथा हरे बेलपत्र द्वारा किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि रुद्राभिषेक से धन, शांति व कष्ट-निवारण की शक्ति मिलती है। साथ ही, इस अनुष्ठान से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और असुरिक शक्तियों से सुरक्षा मिलती है।