यह रुद्राभिषेक केवल एक शास्त्री या पुरोहित द्वारा कराया जाता है। इस अनुष्ठान में शिवलिंग को पहले स्वच्छ जल द्वारा नहलाया जाता है। यह जल किसी पात्र से लगातार शिवलिंग पर गिरता रहना चाहिए तथा इस बीच लगातार रूद्र सूक्त नामक वैदिक मन्त्रों का उच्चारण होते रहना चाहिए। इस अनुष्ठान में लक्ष्मी-गणेश पूजन भी होता है तथा इसके बाद आराध्य का श्रृंगार कमल व गुलाब के फूलों द्वारा तथा हरे बेलपत्र द्वारा किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि रुद्राभिषेक से धन, शांति व कष्ट-निवारण की शक्ति मिलती है। साथ ही, इस अनुष्ठान से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और असुरिक शक्तियों से सुरक्षा मिलती है।